Wednesday, March 6, 2013

अरमाँ

खुश हुआ है बहुत अंतर्मन
पर कहीं गहरे अंतस में
तीव्र उदासी भी है
नाच उठा है तन बदन
पर कही ख्वाबों की गली में
अखंड ठेहराव भी है
आशाओं से भर गया है मन
पर कहीं किसी धमनी में
अजीब सा खालीपन भी है
भानू की रोशनी से भरपूर है गगन
पर कहीं किसी कोने में
स्याह अँधेरा भी है
वर्षा की बूंदों से धरा है मगन
पर कही किसी कूचे में
बंजर सूखापन भी है
खुशियों ने थाम लिया है दामन
पर कहीं किसी रिश्ते में
नासूर गम के बादल भी हैं
शायद  इसी का नाम ज़िन्दगी है
हा इसी का नाम ज़िन्दगी है


नजाने क्यों

 नजाने क्यों, सब को सब कुछ पाने की होड़ लगी है नजाने क्यों, सब को सबसे आगे निकलने की होड़ लगी है जो मिल गया है, उसको अनदेखा कर दिया है और जो...