Thursday, September 21, 2023

फ़र्ज़ी रिश्ते

शुक्रिया हर उस शख़्स का  

जिसने पुरज़ोर कोशिश की 

मेरी हिम्मत तोड़ने की 

मुझे पीछे खींचकर गिराने की 


सच अगर उस दिन तुम न होते 

तो आज मैं  यहाँ ना  होती 

अपने सपने को साक्षात् ना  जी पा रही होती 


तुम तो किसी फ़रिश्ते से काम न निकले 

तुमने तो मुझसे "मैं " को मिलवा दिया 

चाहा तो था तुमने मेरे पँखों को काटना  

लेकिन मेरे ख़ुदा को ये गवारा  न था 

तुम्हारे हाथों  में  तलवार की बजाए 

मेरे लिए ऊपर उठने की सीढ़ी दे दी 

जिसकी तुम्हें भी शायद खबर न थी 

और मैं कदम दर कदम 

सीढ़ी दर सीढ़ी 

चढ़ती चली गई 

और अपने  स्वाभिमान की 

आन  बान  और शान को पहचानती गई 


तू है क्या    तू है क्या 


तुम्हारे मुख से निकली इस ध्वनि ने 

मानो मुझे नींद से जगा  दिया 

और सच में याद दिला दिया 

कि आख़िर मैं हूँ क्या 


 सच नमन तुम्हें दिल से 

तुम्हारी चरपरी ज़ुबाँ की बदौलत 

आज वो पा लिया और जी लिया 

जिसकी सदा से केवल कल्पना की थी 

जिसकी सदा से केवल तमन्ना की थी 


दिल से आभार, अभिनन्दन, अभिवादन  तुम्हारा 

मोती जो छिपा था सीप में गहरे कहीं 

तुमने न केवल उसे बहार निकला 

बल्कि चमका भी दिया 


बहुत बहुत मेहरबानी तुम्हारी 

जो कुटिल हुई वाणी तुम्हारी 

तुम्हारे इसी छल  ने मेरे अंदर 

उस ऊंघाई सी चिंगारी को सुलगा दिया 

और भयंकर बवंडर में बदल दिया 


अन्जाने में ही सही 

माँ शारदे के आशिर्वाद से 

मेरा अंतर्मन झंझोड़ दिया 

मेरी कलम को सक्रिय कर दिया 

मुझे मेरे ध्येय से मिलवा दिया 


प्रणिपात प्रणिपात  प्रणिपात 


डॉ  त्रिपत मेहता 

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