यादों कि डालियों पे
ख़्वाबों ने
जज्बादों के धरौंदों पर
अनगिनत लम्हों का
सुंदर आशिआना बना रखा है
दिल के आँगन में
अरमानो के मनमोहक
खिलखिलाते फूलों से सजी
हसरतों कि डोली में बैठी
उम्मीदों कि नई नवेली दुल्हन
दामन में अनेक आरजुओ को समेटे
सपनो के समंदर में
अनमोल पलों को संजोए
लहरों के साथ
डूबती चली जा रही है
नयनो के सावन से बरसती
रिमझिम बौछार में
चित, मौर सा अठखेलियाँ करता
नजाने किस किस देश में
किस किस डगर पर
मस्ती में पंख बिखेरे
आशाओं कि पगडंडियों पर
नृत्य कर
बड़ी ही शिद्दत से
अरमानों का झूला
झूल रहा है
यादों कि डालियों पे
ख़्वाबों ने...
Friday, March 5, 2010
Subscribe to:
Posts (Atom)
नजाने क्यों
नजाने क्यों, सब को सब कुछ पाने की होड़ लगी है नजाने क्यों, सब को सबसे आगे निकलने की होड़ लगी है जो मिल गया है, उसको अनदेखा कर दिया है और जो...
-
सर्दियों की मखमली धूप से भी ज्यादा कोमल है तेरी यादों का स्पर्श तेरे साथ बीता मेरा हर पल, मादक है कहतें है मदहोशी की बातें ज़हन में नहीं ...
-
नजाने क्यों, सब को सब कुछ पाने की होड़ लगी है नजाने क्यों, सब को सबसे आगे निकलने की होड़ लगी है जो मिल गया है, उसको अनदेखा कर दिया है और जो...
-
यादों कि डालियों पे ख़्वाबों ने जज्बादों के धरौंदों पर अनगिनत लम्हों का सुंदर आशिआना बना रखा है दिल के आँगन में अरमानो के मनमोहक खिलखि...