तेरे हुस्न के तसव्वुर से रोशने-हयात हो गई
तेरी बख्शीश हुई, तो ये कायनात बहशत हो गई
(तसव्वुर - ध्यान, हयात - ज़िन्दगी, बख्शीश - रहमत,
कायनात - सृष्टि, बहशत - स्वर्ग )
चिरागे-ज़ीस्त को तूने दिया है इक सूरज नया,
तेरे ज़िक्र की कलंदरी में मेरी ज़ात फ़ना हो गई
(चिरागे-ज़ीस्त - जीवन रुपी दीया, कलंदरी - मस्ती,
ज़ात - अस्तित्व )
हो बैअत-ऐ-मुर्शिद चली मैं रूहानी राह पर,
वसूल कर तेरे दीदारे-हक़ को मैं तारक हो गई
(बैअत-ऐ-मुर्शिद - गुरु से दीक्षित, दीदारे-हक़ - दर्शन का अधिकार,
तारक - त्यागी )
नफ्स को रौंद दिया आरिफ की पुर-लुत्फी ने,
मकामे-हक़ की बंदगी ही बस, मेरी ज़िद्द हो गई
(नफ्स - मन, आरिफ - अल्लाह का नाम लेने वाला,
पुर-लुत्फी - आनंददायक, मकामे-हक़ - सतलोक )
है तेरी फेज़ से मेरी सबा हसीं,
रज़ा में तेरी सजदा कर, मैं आलिफ हो गई
(फेज़ - कृपा, सबा - प्रभात, रज़ा - मौज,
सजदा - परमात्मा के आगे सर झुकाना, आलिफ - अल्लाह की एकता )
खत्म हो गया समां हुकूमते-आगही का,
अल्ला-ताल्लाह से विसाल हुआ तो मैं "तृप्त" हो गई
(हुकूमते-आगही - बुद्धि का शासन, अल्ला-ताल्लाह - परमात्मा,
विसाल - मिलन, तृप्त - संतुष्ट )
Monday, August 30, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
नजाने क्यों
नजाने क्यों, सब को सब कुछ पाने की होड़ लगी है नजाने क्यों, सब को सबसे आगे निकलने की होड़ लगी है जो मिल गया है, उसको अनदेखा कर दिया है और जो...
-
सर्दियों की मखमली धूप से भी ज्यादा कोमल है तेरी यादों का स्पर्श तेरे साथ बीता मेरा हर पल, मादक है कहतें है मदहोशी की बातें ज़हन में नहीं ...
-
नजाने क्यों, सब को सब कुछ पाने की होड़ लगी है नजाने क्यों, सब को सबसे आगे निकलने की होड़ लगी है जो मिल गया है, उसको अनदेखा कर दिया है और जो...
-
यादों कि डालियों पे ख़्वाबों ने जज्बादों के धरौंदों पर अनगिनत लम्हों का सुंदर आशिआना बना रखा है दिल के आँगन में अरमानो के मनमोहक खिलखि...
28 comments:
चिरागे-ज़ीस्त को तूने दिया है इक सूरज नया,
तेरे ज़िक्र की कलंदरी में मेरी ज़ात फ़ना हो गई.
खूबसूरत !!
As always... beautiful! Your poems really make me think and reflect.... I really hope you keep writing!
and where have u been?! haven't seen u on my page for a while!!
hope you're good :)
Excellent.
बहुत खूबसूरत गज़ल ....शब्दों के अर्थ दिए हुए थे नहीं तो समझना ही मुश्किल हो जाता ...शुक्रिया
waah..sundar!
wallah, aapki gajal padke to mein bhi fanaa ho gaya :)
bahut hi umda !!!
har lafz ko mehsus kiya ja sakta hai !!!
jo likha hai bas koi shabd nahin hain inki taarif karne ke liye !!
Happy Blogging and take care !!!
शायरी-ए-ख़ालिस, लफ्ज़-ए-वज़नदार समझाने में,
मियां मजाल की क्या हालत हो गयी !
ऐसे भारी भरकम लफ्ज़ तो पहले कहीं नहीं सुने. 'तृप्त' तो शुद्ध हिंदी होता है मेरे ख़याल से.
Nice...ur word power is strong ...
very nicely written , loved this one toooo and thanks for putting the meanings of the words alongwith helped understand better GOOOD
By god.. Kya likhte ho yar aap.. :)
mere paas urdu me to koi shabd nahi hai tareef karne ke liye to english me hi likh deta hun..
Awesome. :)
Pehli bar aapka kalaam padha....
sirf ek hi lafz dimaag me aaya...
LAAJAWAB..
आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
बहुत बढ़िया ! उम्दा प्रस्तुती!
bahut bahut shukriya...aap sabhi ka...
@ majaal - yes tript is a hindi word
बहुत खूबसूरत गज़ल ....
thanks for nice comment isi bahane yahan tak aana hua achcha laga
You write very well.
It is a beautiful poem.
बहुत खूब!
आशीष
words are really beautiful and you have got an amazing vocab....
but calling this composition a "ghazal", well....its anything but a ghazal.
i hope you wont take it otherwise...
भई ..वाह..क्या गज़ल है?
बहुत ही उम्दा ...बहुत ही बढ़िया .
पढ़कर मज़ा आ गया .
Waah!
uff aapke urdu lafzo ka jabab nahi....jaandaar:)
follow karna pada!!
uff aapke urdu lafzo ka jabab nahi....jaandaar:)
follow karna pada!!
uff aapke urdu lafzo ka jabab nahi....jaandaar:)
follow karna pada!!
मुस्किल मगर बहुत खूब
arrangement of words
just amazing.....
defi.... excellent vocab..
and yes...
Gautam must have been
under the influence of the composition of this very gamut.
amazingly good ..!
hey where r u not writtne anything for long ...
Bikram's Blog
Post a Comment