तेरे चरणों की दासी हूँ
करो कृपा हे प्रभू
तेरे दरस की प्यासी हूँ
"मैं" ना रहा अब कुछ नहीं शेष
तेरी कृपा से प्रभू
दासी ने पाया गुरु नरेश
राम नाम ही अौषध है
तेरा सुमीरन हे प्रभू
अात्मा का पोषण है
वाटिका का तू सुन्दर फूल
तेरा हर अादेश प्रभू
सर आँख पर है क़ुबूल
नाम ख़ुमारी चढ़े दिन रैन
प्रभू तेरे दर्शन को
तरसे मेरे दोनों नैन
राम रस से सदा रहूँ लिप्त
कृपािनधान प्रभू
यही चाहे दासी तृप्त
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