चले आए हैं तेरे दर पे कि
आज जाने कि जल्दी नहीं
किसी कि नजरों का इंतज़ार बनें कि
आज हमारे घर कोई नहीं
हैं भटक राहों में दर बदर रहें कि
आज मयखाने में प्यास बुझती नहीं
हो गया है याराना अन्धकार से कि
आज दिल-ऐ-चिराग ले रोशनी होती नहीं
अलफ़ाज़ बेकरार हैं होने को नज़म तरस के कि
आज सुरों कि बरसात होती नहीं
झुलस उठा है अंतर्मन ऐ "तृप्त" कि
आज बरखा भी दामन भिगोती नहीं
आज जाने कि जल्दी नहीं
किसी कि नजरों का इंतज़ार बनें कि
आज हमारे घर कोई नहीं
हैं भटक राहों में दर बदर रहें कि
आज मयखाने में प्यास बुझती नहीं
हो गया है याराना अन्धकार से कि
आज दिल-ऐ-चिराग ले रोशनी होती नहीं
अलफ़ाज़ बेकरार हैं होने को नज़म तरस के कि
आज सुरों कि बरसात होती नहीं
झुलस उठा है अंतर्मन ऐ "तृप्त" कि
आज बरखा भी दामन भिगोती नहीं
34 comments:
झुलस उठा है अंतर्मन ऐ "तृप्त" कि
आज बरखा भी दामन भिगोती नहीं
Aah! Manki ghutan pratibimbit ho rahi hai...!
बहुत उम्दा!
चले आए हैं तेरे दर पे कि
आज जाने कि जल्दी नहीं
वाह ! बहुत सुन्दर !
Bautifully written, as always.
:)
and mai aaj kal aapko mere blog mein kyu nahi dekhti?
:(
vaah!
सुभानअल्लाह..बस औऱ क्या कहें....
सुन्दर .....बहुत सुन्दर ....
वाह.. वाह... वाह !
अलफ़ाज़ बेकरार हैं होने को नज़म तरस के कि
आज सुरों कि बरसात होती नहीं
bahut hi khoobsurat rachna .
ग़ज़ल.'.क्या कहूँ' ? अच्छी लगी.
बहुत खूब
very nice..keep it up
बहुत खूबसूरत गज़ल.....और तसुवर-ऐ यार बहुत पसंद आई...
Sunderta dekhne waale ki aankhon mein hoti hai....
\bahut bahut shukriya aap sabho ka ki aapko meri rachna acchi lagi :)
Beautiful .. silly will be those who wud say otherwise ... really enjoyed reading .. my hindi is not that great but still enjoyed :)
Bahut hi achha likha hai aapne.
aapke blog per aakar dil khus ho gaya.
Bahut hi achha likha hai aapne.
aapke blog per aakar dil khus ho gaya.
Bahut hi achha likha hai aapne.
aapke blog per aakar dil khus ho gaya.
आप का धन्यवाद इन सुंदर गजलो को हम तक पहुचाने के लिये
brilllaint. it somehow reflects my present state. kp going. :)
aap aur aapki gazal, mast lagi :)
nothing much to say !!!
excellent is the word !!!
if there wud have been a word as excellentest i wud have given it to you !!
it rocks !!
bahut bahut shukriya aap sabho ka.. :)
चले आए हैं तेरे दर पे कि
आज जाने कि जल्दी नहीं....
ਬਹੁਤ ਵਧੀਆ ਜੀ....
ਜੇ ਆਪਾਂ ਇਉਂ ਕਹਿ ਲਈਏ....
ਬੈਠੇ ਹਾਂ ਤੇਰੇ ਦਰ 'ਤੇ
ਡੇਰਾ ਲਾਈ....
ਜਾਣ ਦੀ ਕੋਈ ਕਾਹਲ਼ੀ ਨਹੀਂ....
ਜੀ ਭਰ ਕੇ ਤੱਕ ਲੈਣ ਦੇ ...
ਝਾਕਿਆਂ ਨਾਲ਼ ਭਰ ਲੈਣ ਦੇ ਝੋਲ਼ੀ ...
बहुत खूबसूरत गज़ल....
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
आप जाने को कहेंगी भी तो हम यही कहेंगे....
आज जाने की जिद ना करो....
खूबसूरत!
बहुत सुन्दर कल्पना और कृति
Shukriya :D
bahut hi khubsurat ....
apka likhne ka tareeka hume pasand aya ...
bohat dino baad kuch naya dekhne ko mila ...
:)
choti si kavita mein bohat kuch keh gae aap ..... sunada kavita
बढ़िया लिखा है आपने। गुनगुना रहा हूं....क्या करुं इतनी बढ़िया आवाज नहीं है वरना रिकॉड करके आपको सुनाता कि कितने बढ़िया बोल लिखे हैं आपने
बढ़िया लिखा है आपने। गुनगुना रहा हूं....क्या करुं इतनी बढ़िया आवाज नहीं है वरना रिकॉड करके आपको सुनाता कि कितने बढ़िया बोल लिखे हैं आपने
झुलस उठा है अंतर्मन ऐ "तृप्त" कि
आज बरखा भी दामन भिगोती नहीं..बहुत सुन्दर पंक्तियाँ. .. वाह.. बहुत खूब
all have is one word ...excellent...
magical i should say.. ..!
keep writing ..tc !
great,,, what a fine piece of work..!!
feel so glad to read such a nice composition..!!
Regards,
Puneet
http://puninagpal.blogspot.com/p/mehfil-e-shayari.html
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