Friday, January 9, 2009

बस एक कदम.....

आकाश, पंछी, बादल, दरिया, पर्वत, हवा; हम इन्हे कुदरत केहेतें है, वो कुदरत जो परम पिता परमत्मा ने अपने हाथों से बनाई और सवारी भी है। हम सब इसकी सरहाना करतें है। हम सब इसे सवार कर संजो कर रखना चाहतें है और कही न कही इसे संभाल कर रखने की पूरी कोशिश भी करतें है।
इंसान को भी तो उसी परमात्मा ने बनाया है, फिर क्यों हम इंसान होते हुए भी उसी इंसान के अस्तित्व को मिटाना चाहतें है? फिर आज क्यों इक इंसान दूसरे का दुश्मन बना बैठा है? क्यों कोई किसी की तरक्की नही देख सकता ? कहा , और कब जा कर टूटे गी ये नफरत की दीवार, वो दीवार जो बिल्कुल खोखली होते हुए भी अपनी नींव पर मजबूती से खड़ी है। आज ये दीवार इतनी विशाल हो गई है की इसने इंसान की आँखों में अपनी काली परछाई छोड़ दी है और वो अपने भले और बुरे के बारे में भी सही निर्णय नही ले पा रहा है। आज हर गली मोड़ पर कोई न कोई किसी न किसी का दुश्मन है। में पूछती हूँ कहा गई वो जिम्मेवारी जिसके लिए परमात्मा ने इंसान की रचना की है? दूसरे का भला करना तो दूर आज इंसान ख़ुद को भी भूल चुका है। तेजी से आगे बड़ते हुए ज़माने की बढती हुई जरूरतों ने इंसान को इतना घेर लिया है की इसके पास स्वयम के लिए भी समय नही और न ये समय निकलना चाहता है।
यदि आज इंसानियत का पतन हुआ है तो , इसका कारन भी यह ख़ुद है। अपनी हर तकलीफ, दुःख दर्द के लिए यदि कोई जिम्मेवार है तो वो है सिर्फ़ और सिर्फ़ इंसान। यदि इस पर कोई मुसीबत आ जाती है तो यह दूसरो पर इल्जाम लागने से पहेले इक पल के लिए भी नही सोचता, फिर चाहे वो कोई अपना बहुत प्यारा ही क्यों न हो । स्वार्थी हो गया है आज का समाज।
एक सुंदर स्वस्थ समाज की रचना समझदार और सुलझे हुए लोगो से होती है, जिसका मेल होना आज के ज़माने में मुश्किल ही नही बल्कि नामुमकिन सा होता दिख रहा है। परमात्मा ने अपनी पूरी सरंचना में से सबसे जादा दिमाग, सोच समझ कर सही निर्णय लेने की शक्ति; समाज कल्याण की भावना से इंसान को प्रदान की है। लेकिन इस लालची (मुझे इसे लालची कहेने में तनिक भी संकोच नही है) प्राणी ने उस असीम और पवित्र शक्ति का दुरूपयोग कर अपने मन में हीन भावना रखते हुए , स्वयम और समाज दोनों का नक्षा हिला कर रख दिया है।

समाज हम से है और हम समाज से है, तो क्यों हम अपने ही अस्तितिव को मिटा रहे है? अरे पशु, पक्षी भी अपने उत्तम व्यवहार से स्वयम के अस्तित्व की रक्षा करतें है, तो हमे तो उस कल्याण कारी ने सोचने समझने की शक्ति प्रदान की है। एक दूसरे से ना सही , इन पेड़, पोधों से; पशु, पक्षियों से; कुछ सीख ले और एक निर्मल सोच को जनम दे कर नए लोग , नए समाज की रचना करें। बस एक कदम इंसानियत की और.... कल्याण की और....

1 comment:

Dr Gabby singh said...

beautiful.....................

नजाने क्यों

 नजाने क्यों, सब को सब कुछ पाने की होड़ लगी है नजाने क्यों, सब को सबसे आगे निकलने की होड़ लगी है जो मिल गया है, उसको अनदेखा कर दिया है और जो...