चक्की के दो पाटो में पिस कर रह गया हू
यह रास्ता जाने कहा ले जाएगा।
न जाने कहा जा कर रुकेगा ये आंसुओं का सैलाब
थमेगा भी या नही कौन देख पाएगा।
Saturday, January 31, 2009
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नजाने क्यों
नजाने क्यों, सब को सब कुछ पाने की होड़ लगी है नजाने क्यों, सब को सबसे आगे निकलने की होड़ लगी है जो मिल गया है, उसको अनदेखा कर दिया है और जो...
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यादों कि डालियों पे ख़्वाबों ने जज्बादों के धरौंदों पर अनगिनत लम्हों का सुंदर आशिआना बना रखा है दिल के आँगन में अरमानो के मनमोहक खिलखि...
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सर्दियों की मखमली धूप से भी ज्यादा कोमल है तेरी यादों का स्पर्श तेरे साथ बीता मेरा हर पल, मादक है कहतें है मदहोशी की बातें ज़हन में नहीं ...
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नैन चक्षुओं को खुलना सिखा मौला, ज़र्रे-ज़र्रे में तेरे अक्स को देखना सिखा मौला कर्णों से सुनना सिखा मौला, कौने -कौने में तेरे नाम कि अपार च...
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