हाँ तुझसे प्रेम है,
जब से मैं हूँ तब से प्रेम है
न जमाने मैं है दम, न ख़ुद तुझमे है ताकत
की बाँध सके बेडिया मेरे कदमो में
दर दर भटक रहे है तेरे चाहने वाले
लिए आरजू तेरे "दरस" की मन में
तेरी बंदगी ही है अब ज़िन्दगी मेरी
तेरी इबादत ही मेरा जुनून
होगी तो ख़बर तुझे भी तेरे दीवाने की
फिर क्यों है ये पहरे दरमियान -ऐ - फान्सलों के
सिर्फ़ एक झलक जो दिख जाए तेरी
चल रही है "साँसों" की लड़ी इसी इंतज़ार में
Wednesday, February 18, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
नजाने क्यों
नजाने क्यों, सब को सब कुछ पाने की होड़ लगी है नजाने क्यों, सब को सबसे आगे निकलने की होड़ लगी है जो मिल गया है, उसको अनदेखा कर दिया है और जो...
-
आज अचानक कहीं गहरे अंतस में उसी मंदिर कि घंटियाँ फिर से बजने लगी हैं और आरती सुनाई देने लगी है जब मैं और मेरी सहेलियाँ छुट्टी वाले द...
-
यादों कि डालियों पे ख़्वाबों ने जज्बादों के धरौंदों पर अनगिनत लम्हों का सुंदर आशिआना बना रखा है दिल के आँगन में अरमानो के मनमोहक खिलखि...
-
सर्दियों की मखमली धूप से भी ज्यादा कोमल है तेरी यादों का स्पर्श तेरे साथ बीता मेरा हर पल, मादक है कहतें है मदहोशी की बातें ज़हन में नहीं ...
4 comments:
very very inspiring and beautiful...........
वाह क्या शब्द चुने है,प्रेम को परि्भा्षित करने के लिये.
भावनाएँ सुन्दर हैं
---
चाँद, बादल और शाम
सरकारी नौकरियाँ
aapka prem dono tarah ka lag raha hai ..........ruhani bhi aur parmarthik bhi.
waah kya bat hai
Post a Comment