Sunday, March 22, 2009

"राहें"

आज ज़िन्दगी किस राह पर
ले जा रही है
जो कभी सोचा ना था
वो करवा रही है
और जो सोचा था
उसका तो
नामो निशाँ ही नही है
सावन भी बरस कर चल दिया
और कलि पर भी
पूरा यौवन आ गया
कायनात ने अपना नियम
अदा कर दिया
लेकिन
मेरा रास्ता क्यों बदल दिया
जो नही कर सकती थी
वो भी करवा दिया
और भरपूर करवाया की
शिकायत भी करने की
गुंजाइश न रही
ये "उसकी" कृपा थी
या
मेरा करम
की अपने "नसीब" से
मुझे "इशक" करवा दिया

5 comments:

vandana gupta said...

waah ..........kya baat hai.

प्रशांत मलिक said...

ये "उसकी" कृपा थी
या
मेरा करम
की अपने "नसीब" से
मुझे "इशक" करवा दिया ...
bahut badhiya... really..

Prem Farukhabadi said...

मेरा रास्ता क्यों बदल दिया
जो नही कर सकती थी
वो भी करवा दिया
और भरपूर करवाया की
शिकायत भी करने की
गुंजाइश न रही
ये "उसकी" कृपा थी
या
मेरा करम
की अपने "नसीब" से
मुझे "इशक" करवा दिया

achchi lagi. badhaai.

हरकीरत ' हीर' said...

ये "उसकी" कृपा थी
या
मेरा करम
की अपने "नसीब" से
मुझे "इशक" करवा दिया

aap isi tarah naseeb se isq karte aage badhte rahen yahi kamna hai....!!

Dr. Tripat Mehta said...

aap yu hi mera honsla badatte rahiye...dhanywaad!!!

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