Tuesday, March 31, 2009

"शौषण"

सच कहा है ..
किसी के लिए कितना भी कर लो,
कम पढ़ ही जाता है...
मैंने पूरी जी जान लगा दी
अपना लक्ष दाव पर लगा दिया
कोई कसर नहीं छोडी
किसी को शिकायत का मौका भी नहीं दिया
ज्यादा नहीं चाहा था मैंने
तमन्ना, तमन्ना ही रह कर
कही दिल के किसी कोने में दब गई
कहाँ हुई गलती,
कहाँ हुई भूल,
की
फूल पाने की आरजू थी
और दामन में गिरे तो सिर्फ
बेवफाई के कांटे
नफरत की झंझोड़ देने वाली आंधी...
ऐ खुदा
बदल दे हालात मेरे...
अब ये आवाज़ नहीं निकलती दिल से
हिम्मत दे अपने चाहने वालो को
की तेरे ही बन्दों से मिली हुई
नफरत को
तेरा आशीर्वाद समझ लू...

7 comments:

vandana gupta said...

bahut hi gahri baat kahi aapne.

डिम्पल मल्होत्रा said...

aap ne bilkul thheek kaha hai jab aap sab ke liye sab kuchh karte ho to log aap ko granted sajhne lagte hai......v true said...kisi ke liye kitna bhi kar lo kam padh jaata hai..

विजय तिवारी " किसलय " said...

भावनात्मक अभिवक्ति है,
शब्दों के मोती चुने हैं आपने

"हिम्मत दे अपने चाहने वालो को
की तेरे ही बन्दों से मिली हुई
नफरत को
तेरा आशीर्वाद समझ लू..."
बधाई.
- विजय

हरकीरत ' हीर' said...

Tripat ji aap pahli bar mere blog pe aaye hain sayad ....aapka bahut bahut shukaria ...!

ऐ खुदा
बदल दे हालात मेरे...
अब ये आवाज़ नहीं निकलती दिल से
हिम्मत दे अपने चाहने वालो को
की तेरे ही बन्दों से मिली हुई
नफरत को
तेरा आशीर्वाद समझ लू...

Bhot khoob.....!!

aapne kavita mein apne bhavon ko piro kar rakh diya hai.....jo likha dil se likha yahi kamyabi ki sidhi hai ....!!

नवनीत नीरव said...

Kisi ne kaha hai ..
waqt ke haath mein phool bhi hai patthar bhi hain,
chah hai phoolon ki to chot khate rahiye.
Kabhi -kabhi hum tay nahi kar paate ki hamein kya karna chahiye.jo nirnay hum lete hain wo galat sabit hota hai aur hum khud ki bajay paristhitiyon ko dosh dete hain.
Aapki kavita achchhi lagi.
Dhanaywad
Navnit Nirav

Shamikh Faraz said...

Tripat shoshan kavita me bahtu kuchh kah diya hai aapne. kam shabdon me badi bat kahne ke lie badhai aapko. agar waqt mile to mere blog par bhi aayen.www.salaamzindadii.blogspot.com

Dr. Tripat Mehta said...

dhanyawaad!!!

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