सच कहा है ..
किसी के लिए कितना भी कर लो,
कम पढ़ ही जाता है...
मैंने पूरी जी जान लगा दी
अपना लक्ष दाव पर लगा दिया
कोई कसर नहीं छोडी
किसी को शिकायत का मौका भी नहीं दिया
ज्यादा नहीं चाहा था मैंने
तमन्ना, तमन्ना ही रह कर
कही दिल के किसी कोने में दब गई
कहाँ हुई गलती,
कहाँ हुई भूल,
की
फूल पाने की आरजू थी
और दामन में गिरे तो सिर्फ
बेवफाई के कांटे
नफरत की झंझोड़ देने वाली आंधी...
ऐ खुदा
बदल दे हालात मेरे...
अब ये आवाज़ नहीं निकलती दिल से
हिम्मत दे अपने चाहने वालो को
की तेरे ही बन्दों से मिली हुई
नफरत को
तेरा आशीर्वाद समझ लू...
किसी के लिए कितना भी कर लो,
कम पढ़ ही जाता है...
मैंने पूरी जी जान लगा दी
अपना लक्ष दाव पर लगा दिया
कोई कसर नहीं छोडी
किसी को शिकायत का मौका भी नहीं दिया
ज्यादा नहीं चाहा था मैंने
तमन्ना, तमन्ना ही रह कर
कही दिल के किसी कोने में दब गई
कहाँ हुई गलती,
कहाँ हुई भूल,
की
फूल पाने की आरजू थी
और दामन में गिरे तो सिर्फ
बेवफाई के कांटे
नफरत की झंझोड़ देने वाली आंधी...
ऐ खुदा
बदल दे हालात मेरे...
अब ये आवाज़ नहीं निकलती दिल से
हिम्मत दे अपने चाहने वालो को
की तेरे ही बन्दों से मिली हुई
नफरत को
तेरा आशीर्वाद समझ लू...
Comments
शब्दों के मोती चुने हैं आपने
"हिम्मत दे अपने चाहने वालो को
की तेरे ही बन्दों से मिली हुई
नफरत को
तेरा आशीर्वाद समझ लू..."
बधाई.
- विजय
ऐ खुदा
बदल दे हालात मेरे...
अब ये आवाज़ नहीं निकलती दिल से
हिम्मत दे अपने चाहने वालो को
की तेरे ही बन्दों से मिली हुई
नफरत को
तेरा आशीर्वाद समझ लू...
Bhot khoob.....!!
aapne kavita mein apne bhavon ko piro kar rakh diya hai.....jo likha dil se likha yahi kamyabi ki sidhi hai ....!!
waqt ke haath mein phool bhi hai patthar bhi hain,
chah hai phoolon ki to chot khate rahiye.
Kabhi -kabhi hum tay nahi kar paate ki hamein kya karna chahiye.jo nirnay hum lete hain wo galat sabit hota hai aur hum khud ki bajay paristhitiyon ko dosh dete hain.
Aapki kavita achchhi lagi.
Dhanaywad
Navnit Nirav