Saturday, October 2, 2010

अनुभूति

आज अचानक
कहीं गहरे अंतस में
उसी मंदिर  कि घंटियाँ फिर से बजने लगी हैं
और आरती सुनाई देने लगी है 

जब मैं और मेरी सहेलियाँ
छुट्टी वाले दिन
बड़े ही चाव से बन-ठन के
मंदिर जाया करती थी
हर शाम घंटी बजने का 
इंतज़ार किया करतीं थीं

सच...
आज़ाद परिंदा था मन उन दिनों
जिसकी उड़ान की
कोई सीमा नहीं थी,
कोई निश्चित दिशा नहीं थी

बिल्कुल आज़ाद, बंदिशों रहित,
निर्मल, स्वच्छ आकाश में
उड़ान भरने को सदा तत्पर...
खुले-आम जी भर के जीने वाला
चित...
जिसका कही कोई मुकाबला ही नही था...

लेकिन आज अगर ढूंढने भी निकलूँ,
तो भी नहीं मिलता वो मंदिर
कान मानो तरस रहें हों आरती की आवाज़ को...

सहेलियों के भी धरौंदे टूटते समय न लगा
और कच से टूट कर बिखर गए

अब कोई राहगीर नहीं रहा राह में
और मन....
मन जैसे प्रत्येक क्षण
करहा रहा हो...छटपटा रहा हो...
एक बार फिर से उसी गगन को
चूमने को तरस रहा हो...

मगर अफ़सोस
उडारी भर न सकेगा
इन बंदिशों, बेड़ियों, समाज की खोखली जंजीरों में
बंध कर जो रह गया है

न जी सकेगा, न मर सकेगा
बस यूँ ही
घुट-घुट कर आहें भर कर रह जाएगा...

और इंतज़ार करेगा
एक नई प्रभात का
वाटिका में नई कोपलों के फूटने का
एक सुन्दर नवीन संसार का...

34 comments:

Apanatva said...

apane udgar piroe hai aapne .....vo bhor aapke hee hatho hai lana.....apane aap nahee aane walee..........apnepar vishvas mat khoiye...........
Aasheesh

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

वह नयी सुबह ज़रूर आएगी ...अच्छी प्रस्तुति

nil said...

As usual.. just great.
your talent of having so much command over your language amazes me. good job! :)

viddhi said...

awesome ! :)

प्रकाश गोविंद said...

सच...
आज़ाद परिंदा था मन उन दिनों
जिसकी उड़ान की
कोई सीमा नहीं थी,.....
-
-
भावनात्मक एहसासों से भरी बेहद सुन्दर कविता
रचना पढ़कर बहुत अच्छा लगा

आभार
शुभ कामनाएं

Kailash Sharma said...

न जी सकेगा, न मर सकेगा
बस यूँ ही
घुट-घुट कर आहें भर कर रह जाएगा...
......
अंतर्मन की कशिश को उजागर करती बहुत सशक्त अभिव्यक्ति.....बधाई....

shikha varshney said...

नई सुबह के इंतज़ार में भावपूर्ण अभिव्यक्ति.

जयकृष्ण राय तुषार said...

bhawon aur shabdon ka adbhut samanjan apki kavitaon me hai badhai

ZEAL said...

Beautiful creation !

G Vishwanath said...

Thanks for inviting me.
I will come again.
I am in a hurry now.
Sorry for being unable to make any worthwhile comment.
I am an engineer by profession, more comfortable with numbers, diagrams, drawings, and formulae than with words, emotions and feelings.
So please don't expect too much from me in the form of comments.

Any way, here is my feeble attempt to make a comment.
If it is a stupid comment, please pardon me.
मैं शायर तो नहीं!
मगर ओ प्रेरणाजी,
जब से पढा
मैंने तुमको
टिप्पाणी आ गई


Regards
G Vishwanath

Mr Happy said...

gr8 yaar,

wo prabahat kaash jaldi aaye

Arvind Mishra said...

सुन्दर प्रबोध गीत ....इम्प्रेसड!

Udan Tashtari said...

उस सुबह का इन्तजार..सुन्दर!!

मुकेश कुमार सिन्हा said...

और इंतज़ार करेगा
एक नई प्रभात का
वाटिका में नई कोपलों के फूटने का
एक सुन्दर नवीन संसार का...

khubshurat panktiyan..:)
wo pyari subah jarur aayegi........jo tajgi aur pyar failayegi........:)

Akshitaa (Pakhi) said...

वाह, आप तो बहुत शानदार लिखती हैं...बधाई.
________________

'पाखी की दुनिया' में अंडमान के टेस्टी-टेस्टी केले .

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

एक बात जो परेशां कर रही है..... क्या बादल गया 'तब' में और 'अब' में?
इन्श'अल्लाह नयी सुबह आयेगी!
आमीन!
आशीष

देवेन्द्र पाण्डेय said...

और इंतज़ार करेगा
एक नई प्रभात का
वाटिका में नई कोपलों के फूटने का
एक सुन्दर नवीन संसार का...
..इसके बाद फिर इन पंक्तियों को पढ़ने की इच्छा हुईं..

आज अचानक
कहीं गहरे अंतस में
उसी मंदिर कि घंटियाँ फिर से बजने लगी हैं।
..अच्छा लगा।
टंकण त्रुटी सुधार लें..
धरौंदे...करहा रहा हो..

देवेन्द्र पाण्डेय said...

और इंतज़ार करेगा
एक नई प्रभात का
वाटिका में नई कोपलों के फूटने का
एक सुन्दर नवीन संसार का...
..इसके बाद फिर इन पंक्तियों को पढ़ने की इच्छा हुईं..

आज अचानक
कहीं गहरे अंतस में
उसी मंदिर कि घंटियाँ फिर से बजने लगी हैं।
..अच्छा लगा।
टंकण त्रुटी सुधार लें..
धरौंदे...करहा रहा हो..

Archana writes said...

bahut khoob....

Parul kanani said...

beautiful1

Unknown said...

very nice

संजय भास्‍कर said...

सुंदर भावपूर्ण रचना के लिए बहुत बहुत आभार.

Bikramjit Singh Mann said...

amen to that

hoga zaroor hoga ek din woh nai parbhat da sooraj zaroor uday hoga :)

just have faith it will come sooner then u expect :)

Bikram's

RockStar said...

wish u a happy diwali and happy new year

ज्योति सिंह said...

और इंतज़ार करेगा
एक नई प्रभात का
वाटिका में नई कोपलों के फूटने का
एक सुन्दर नवीन संसार का...
bahut hi sundar likhti ho ,man ko chhoo gayi rachna .

Ankit said...

beautiful as always !!!

nothing more to say !!

Vasants' Poetry World said...

vow.... really wonderful.!!
अपने दिल में उठी हूक को आपने शब्द रूपी मोतियों की जिस माला में पिरोया है वो वाकई में काबिल-ए-तारीफ़ है मोहतरमा.....!
will u plz tell ur name...???

Arpit said...

Lovely Poem! :)

Anonymous said...

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