सातों जहान क़दमों में होते हैं
उस पल, जब हम तुम संग होते हैं
बंधन में चाहे हमें संसार ने बाँधा हो
लेकिन एक दूसरे के सांचे में ढल कर,
थोड़ा गिर कर, कुछ संभल कर
एक दूसरे का ना केवल हमसफ़र
बल्कि, हमकदम, हमजोली, हमसाया बनकर
हाथों में हाथ डाल , साथ जीवन व्यतीत करने
का निश्चय और वादा तो हमारा अपना है
- डॉ त्रिपत मेहता
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