वो आए,
और कुछ इस कदर आए की
उनका आना पता भी न चला
वो लाए अपने साथ हजारो सपने,
और चुपके से सज़ा दिए आँखों में
वो लाए बिखेरते अनगिनत खुशियाँ चारो तरफ़,
और भर दिया सूना दामन
वो लाए साथ अपने मेघ प्रेम के,
और बरस कर चल भी दिए
अभी तो आने की आहट भी नही हुई ,
और वो चल दिए
वो गए कुछ इस तरह की,
सपने टूट कर आँखों से बह गए
वो गए कुछ इस तरह की,
खुशियों ने भी दामन छोड़ दिया
वो गए कुछ इस तरह की,
नीर बहता चला गया
फरक सिर्फ़ इतना था,
पहले मेघ बरसाते रहे
और अब नैन
Friday, February 20, 2009
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नजाने क्यों
नजाने क्यों, सब को सब कुछ पाने की होड़ लगी है नजाने क्यों, सब को सबसे आगे निकलने की होड़ लगी है जो मिल गया है, उसको अनदेखा कर दिया है और जो...
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नजाने क्यों, सब को सब कुछ पाने की होड़ लगी है नजाने क्यों, सब को सबसे आगे निकलने की होड़ लगी है जो मिल गया है, उसको अनदेखा कर दिया है और जो...
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सर्दियों की मखमली धूप से भी ज्यादा कोमल है तेरी यादों का स्पर्श तेरे साथ बीता मेरा हर पल, मादक है कहतें है मदहोशी की बातें ज़हन में नहीं ...
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यादों कि डालियों पे ख़्वाबों ने जज्बादों के धरौंदों पर अनगिनत लम्हों का सुंदर आशिआना बना रखा है दिल के आँगन में अरमानो के मनमोहक खिलखि...
5 comments:
waah waah , bahut khoob..........aapne to jaise haqeeqat bayan kar di.
वाह सु्न्दर रचना है,सुन्दर विचारो की प्रस्तुति्.
prerna ji bahut khub likhti hain aap. maine pahli bar aapka blog visit kiya kafi achha laga.
prerna ji agar main aap likhne me intrest rakhti hain to main aapko invite karna chaunga k mere blog ke lie aik prerna se bhari kavita likhe. aur han ho sake to mere blog ko 1 bar dekh
shukriyaa..
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