मेरी इबादत रंग ले आई
आज चारो तरफ़ प्रेम की कलियाँ मुस्काई
मेघ भी जम कर बरसे
आज इन्द्रधनुष ने भी भरपूर रंग दिखाए
चांदनी जी भर के बिखेरी चाँद ने
आज सिमट गया हर भंवरा कलि में
महक गई दिशाए संदली सी खुशबू से
आज पूरी हो गई हर तमन्ना दीदार - ऐ - यार से
जुदाई के काले बादलों की छठा हट गई
आज नदी सागर से जा कर मिल ही गई
नाच उठे अनगिनत मौर दिल के बागीचे में
आज पाया ख़ुद को उनकी बाहों में
हर पल थी इसी पल के इंतज़ार में
आज हो गई "पूरी" उनके प्यार में
Sunday, March 15, 2009
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नजाने क्यों
नजाने क्यों, सब को सब कुछ पाने की होड़ लगी है नजाने क्यों, सब को सबसे आगे निकलने की होड़ लगी है जो मिल गया है, उसको अनदेखा कर दिया है और जो...
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नजाने क्यों, सब को सब कुछ पाने की होड़ लगी है नजाने क्यों, सब को सबसे आगे निकलने की होड़ लगी है जो मिल गया है, उसको अनदेखा कर दिया है और जो...
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सर्दियों की मखमली धूप से भी ज्यादा कोमल है तेरी यादों का स्पर्श तेरे साथ बीता मेरा हर पल, मादक है कहतें है मदहोशी की बातें ज़हन में नहीं ...
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6 comments:
जुदाई के काले बादलों की छठा हट गई
आज नदी सागर से जा कर मिल ही गई
...ye lambe safar ke baad milne wali manzil ki khushi hai...
..behtarin chitran...
डॉ. साहिबा,
हर पल थी इसी पल के इंतजार में
आज हो गई पूरी उनके प्यार में
बहुत ही खूबसूरत भाव है. वैसे आपकी टिप्पणी पढने के बाद ही यहाँ आ पाया, सुकून भरा लगा. मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया.
मुकेश कुमार तिवारी
नाच उठे अनगिनत मौर दिल के बागीचे में
आज पाया ख़ुद को उनकी बाहों में
हर पल थी इसी पल के इंतज़ार में
आज हो गई "पूरी" उनके प्यार में
badhaai.You are really extrovert. keep it up dear.
haan use vahin to jaakar milnaa bhi tha.........acchi rachnaa...aabhaar...!!
boht achha...aaj puri ho gyee unke pyar me...boht hi achha kaha hai....
shukriya...
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